शर्लाक होम्स के कारनामे :
द एडवेंचर ऑफ़ थ्री स्टुडेंट्स (THE ADVENTURE OF THE THREE STUDENTS)
एक बार शर्लाक होम्स और डा. वाटसन से मिलने डा. हिल्टन सोएमस आए। वह सेंट ल्यूक्स कालेज में प्रोफेसर थे। डा. सोएमस लंबे-दुबले और भावुक किस्म के आदमी थे। वह आमतौर पर बहुत शांत रहते थे, पर उस दिन उनकी बेचैनी को कोई भी महसूस कर सकता था।
डा. सोएमस बेचनी से पहलू बदलते हुए बोले—''मेरे साथ एक बहुत ही अजीब घटना मेरे विश्वविद्यालय परिसर के घर में घटी है। यह मेरा भाग्य है कि आप इन दिनो यहीं ठहरे हुए हैं।''
''माफ कीजिए।'' शर्लाक होम्स बोले—''मैं इन दिनों बहुत व्यस्त हूं। अच्छा होगा यदि आप पुलिस से संपर्क करें।''
''मैं ऐसा ही करता पर ऐसा करने पर कालेज की इज्जत पर आंच आएगी। और किसी दूसरे की गलती सजा निर्दोष छात्रों क्यों मिले।
अब तक शर्लाक होम्स उखड़े हुए थे। परंतु छात्रों केविषय में जानकर वह थोड़े सहज हुए। वह प्रोफेसर के पास पड़ी कुर्सी पर बैठ गए। उनका संकेत पाकर प्रोफेसर ने आगे कहना शुरू किया—''कल हमारे कालेज में छात्रवृत्ति की परीक्षा होने वाली है। उसका प्रश्नपत्र मैंने ही बनाया है। आज करीब तीन बजे छपार्इ वाला प्रश्नपत्र का नमूना मुझे देखने के लिए दे गया। प्रश्नपत्र तीन पन्नों में था। मैं उन्हें पढऩे लगा। इस बीच चाय का समय हुआ तो मैंने प्रश्न पत्र टेबल पर रख दिया। दरवाजे पर ताला लगाकर मैं मित्र के पास चाय पीने चला गया।
''जब मैं लौटा तो यह देखकर सन्न रह गया कि दरवाजे पर चाबी लगी हुई थी। दरवाजे की एक चाबी मेरे विश्वस्त नौकर बैनिस्टर के पास रहती थी। इसका मतलब था कि मेरे न रहने पर वह मेरे कमरे में गया था। यह उसकी लापरवाही थी कि उसने चाबी दरवाजे पर लगी छोड़ दी थी।
''मैं जल्दी से अंदर गया। मैं यह देखकर हैरान रह गया कि प्रश्न पत्रों को किसी ने छेड़ा था। एक पन्ना पर्श पर गिरा था। दूसरा खिड़की पाल वाली शीशे की मेज पर था और तीसरा वहीं पर था जहां मैंने उन्हें छोड़ा था।''
''पहले मुझे लगा यह मेरे नौकर का काम है। मैंने उससे बात की। वह तो मेरी डांट से ऐसा पस्त हुआ कि खिड़की के पास वाली कुर्सी पर ही बैठ गया। मेरे घर के पास ही तीन विद्यार्थी रहते हैं। उनमें से एक दौलत रास मेरे पास आया था, पर चूकि प्रश्न पत्र गोलाई में बंधे हुए थे, अत: वह जान ही नहीं सकता था। इसके अलावा कोई मेरे पास नहीं आया था। मैंने कमरे की जांच की। कमरे में घुसने वाले ने कुछ निशान छोड़े थे—जैसे पैंसिल की छीलन। मैं चाहता तो पुलिस बुला सकता था। पर इससे परीक्षा स्थगित हो जाती। कितने ही बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो जाता। अगर आप कल की परीक्षा से पहले उस बदमाश को पकड़ लें तो बड़ी मेहरबानी होगा। अन्यथा मुझे परीक्षा स्थगित करवानी पड़ेगी।''
''मुझे जांचकर खुशी होगी। चलिए आपके घर चलते हैं।''—कहते हुए शर्लाक होम्स खड़े हो गए।
सभी प्रोफेसर के घर पहुंचे। कालेज परिसर में ही घर बने थे। साथ ही छात्रावास भी था। शर्लाक ने बाहर से खिड़की द्वारा घर में झांकने की कोशिश की। शर्लाक की लंबाई अच्छी थी, पर उन्हें भी झांकने के लिए काफी उचकना पड़ा।
सभी घर के अंदर पहुंचे। घर पुराने ढंग का बना हुआ था। दरवाजे के अलावा घर में घुसने का कोई रास्ता नहीं था। शर्लाक बैठक के बनी खिड़की के पास पहुंचे। वहीं शीशे वाली टेबल रखी थी। पास ही कुर्सी भी पड़ी हुई थी। शर्लाक ने सब कुछ ध्यान से देखा। फिर प्रोफेसर से पूछ बैठे—''आपका नौकर किस कुर्सी पर बैठा था?''
'इसी मेज के पास वाली कुर्सी पर।''
''चलिए, पहले मेज को देखते हैं। शर्लाक ने मेज को ध्यान से देखा। मेज पर खरोंच के निशान थे। वहां कुछ काली मिट्टी पड़ी हुई थी। साथ ही जमी हुई मिट्टी का एक तिकोना टुकड़ा भी था। उस मिट्टी में बुरादा मिला था। कुछ सोचकर शर्लाक ने कहा—''जो हुआ, साफ दिखाई दे रहा है। अजनबी को पता चल गया कि कमरे में प्रश्न पत्र है। उसे दरवाजे पर चाबी भी लगी मिली। वह अंदर आया। टेबल से एक-एक कर प्रश्न पत्र उठाकर वह नकल करने लगा। इसी बीच उसकी पेंसिल की नोंक टूटी। उसने फिर नोंक बनाई, इसीलिए पेंसिल की छीलन मेज के पास पड़ी है। वह खिड़की के पास शीशे वाली टेबल पर इसलिए काम कर रहा था कि वह बाहर आप पर नजर रख सके कि कहीं आप लौट तो नहीं रहे। उसका दुर्भाग्य कि आप दूसरे रास्ते से आ गए। फिर...।'' कहते हुए शर्लाक रुक गए। फिर बोले—''बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं है। इसका मतलब जब आप अंदर आए तो वह यहां था। पर था कहां?''
कहते हुए शर्लाक की नजर पूरे बैठक में घूमी। उन्हें एक और दरवाजा नजर आया। उन्होंने प्रोफेसर की ओर देखा तो वह बोले—''यह मेरे सोने के कमरे का दरवाजा है।''
''चलिए देखते हैं।''—कहते हुए शर्लाक सोने के कमरे में गया। वहां दरवाजे के स्थान को ध्यान से देखा। वहां पर भी उसे मिट्टी का तिकोना टुकड़ा मिला। शर्लाक ने उसे भी संभालकर रख लिया। अब उसके पास वैसे दो टुकड़े थे। फिर वह बोले—''इससे सिद्ध होता है कि वह अजनबी इस कमरे में भी आया था। आपका नौकर उस अजनबी अथवा चोर जो भी है, उसे जानता है। आप जरा उसे बुलवाइए।''
बैनिस्टर आया। वह पचास साल का बूढ़ा था। वह अब भी घबराया हुआ था। शर्लाक ने उसके आते ही पूछा—''एक बात मेरी समझ में नहीं आई। जब प्रोफेसर ने आप से पूछताछ की तो पस्त होकर आप कमरे में और किसी कुर्सी पर क्यों नहीं बैठे। उसी कुर्सी पर क्यों बैठे जो इस खिड़की के नजदीक और दरवाजे से इतनी दूर इस शीशे वाली टेबल के पास है?''
''मुझे नहीं पता, मैं तो बिना सोच-समझे उस कुर्सी पर बैठ गया था।''—नौकर ने जवाब दिया।
आप जानते हैं, पर हमें बता नहीं रहे। पर कोई बात नहीं। चलिए प्रोफेसर साहब, अब आपके पड़ोसी, तीनों विद्यार्थियों से मिल लें। शायद कुछ पता चले।
सबसे पहले वे गिलक्रिस्ट नामक विद्यार्थी से मिले। वह ताड़ की तरह लंबा और लापरवाह युवक था। पढ़ाई से ज्यादा उसकी खेल में रुचि थी। लंबी कूद में वह कालेज का चैंपियन था।
दूसरा लड़का था दौलत रास। वह पढऩे में तेज था। वह सबसे बड़ी गर्मजोशी से मिला। उसकी लंबाई ज्यादा नहीं थी। फिर वह तीसरे विद्यार्थी के पास पहुंचे। वह भी सामान्य कद का विद्यार्थी था। आवाज देने पर भी उसने सबसे मिलने से इनकार कर दिया। सबको बहुत बुरा लगा। साथ ही यह सुनकर और भी उसपर सबका संदेह गहराया कि आज दोपहर के बाद से वह किसी से मिला तक नहीं था।
''अच्छा प्रोफेसर साहब, अब हम चलते हैं। कल सुबह परीक्षा आरंभ होने से पहसे अपराधी आपके पास खड़ा होगा।''—कहते हुए शर्लाक होम्स और डा. वाटसन प्रोफेसर को परेशानी की हालत में छोड़कर ही लौट गए।
अगले दिन सुबह डा. वाटसन ने शर्लाक होम्स से कहा—'' प्रोफेसर के पास जाकर उसे कहेंगे क्या? कौन है अपराधी?''
मैं उसे पहचान चुका हूं। यह देखो। कहते हुए शर्लाक ने अपनी हथेली आगे की। उस पर वैसा ही तिकोना टुकड़ा था जैसे दो टुकड़े शर्लाक ने प्रोफेसर के घर पर बरामद किए थे।
यह कहां से मिला?—डा. वाटसन ने पूछा।
''मैं आज सुबह से इस काम में लगा हूं। चलो, बाकी बातें प्रोफेसर के यहां बताऊंगा।''
दोनों तैयार होकर प्रोफेसर के पास पहुंचे। वह परेशान होकर टहल रहे थे। उन्हें दिलासा देकर शर्लाक ने पहले बैनिस्टर को बुलाया। उसके आते ही कहा—''मैं जानता हूं, जो भी अपराधी है। उसे तुम जानते हो। पर मैं इसे सिद्ध नहीं कर सकता। ऐसा करो कि जाकर गिल्क्रिस्ट को बुला लाओ।''
बैनिस्टर गया और जब वह लौटा तो उसके साथ गिलक्रिस्ट था। ''यहां हम पांच लोग हैं। यहां जो बातें होगी, हमारे अलावा कोई नहीं सुन सकेगा। तुम तो अच्छे लड़के हो, पर तुमने ऐसा गलत काम क्यों किया?'' —कहते हुए शर्लाक ने उस पर नजर गड़ा दी।
गिलक्रिस्ट ने घबराकर बैनिस्टर की तरफ देखा। बैनिस्टर मिमियाया—''नहीं, मैंने उन्हें कुछ नहीं बताया।''
''गिलक्रिस्ट, तुमने ऐसा क्यों किया?''—प्रोफेसर की हैरानी की कोई सीमा नहीं थी।
''इसने कुछ सोचकर ऐसा नहीं किया था। मौका हाथ लगा तो यह अपराध कर बैठा। मैं सारी कहानी सुनाता हूं। जहां मैं कुछ छोड़ू, तुम बता देना। ''—शर्लाक ने कहा।
फिर उन्होंने केस पर बोलना शुरू किया—''घर में प्रश्न पत्र आए हैं, यह प्रोफेसर के अलावा छपाई वाले को पता था। पर वह इसलिए अपराधी नहीं हो सकता ता कि वह तो नकल का काम अपने घर में भी कर सकता था। बैनिस्टर को भी पता नहीं था, अत: वह ऐसा कर नहीं सकता था। ले देकर इतनी जल्दी इसके विषय में पास में ही रहने वाले तीनों विद्यार्थी ही जान सकते थे। दौलत रास घर पर आया था पर बंडल देखकर उसे भला कुछ क्या पता चलता। अत: मैंने सुबूतों पर ध्यान दिया। कोई बाहर से झांककर अंदर देख सकता था। पर इसके लिए लंबा होना जरूरी था। तीनों विद्यार्थियों में सबसे लंबा गिलकिस्ट ही है। घर में मिट्टी के जो टुकड़े मिले, वह खेल वाले जूतों में लगीं कीलों से ही निकल सकती थी। यहां उपस्थित लोगों में गिलक्रिस्ट ही खिलाड़ी है। बाहर खिड़की के पास, घर के अंदर शीशे वाली टेबल के पास ,उसके पास की कुर्सी पर तथा सोने वाले कमरे में काली मिट्टी और लकड़ी के बुरादे मिले थे। मैं आज सुबह कालेज के खेल के मैदान में गया था। वहां की मिट्टी काली है। वहां पर लकड़ी के बुरादे भी मिले जिसे खिलाड़ी फिसलने से बचने के लिए मिट्टी पर डालते हैं।
फिर मैं कालेज के पास वाली कापी-किताब बेचने वाली दुकान पर गया। वहां पता चला कि कल रात एक लंबा लड़का पेंसिल खरीदकर ले गया था।
''हुआ यह था कि गिलक्रिस्ट ने खेल के मैदान से लौटते समय खिड़की से प्रश्नपत्र देख लिए. वह दरवाजे पर आया तो उसके भाग्य से दरवाजे पर बैनिस्टर की चाबी लटक रही थी। वह कमरे में आया। जूते शीशे वाली मेज पर रखकर एक-एक कर प्रश्नपत्रों की नकल उतारने लगा। वह खिड़की के पास यह देखने के लिए खड़ा था कि कहीं आप लौट तो नहीं रहे। पर आप दूसरे रास्ते से लौट आए। बचने के लिए वह आपके सोने वाले कमरे में छिप गया। जूते को खींचने से मेज पर रगड़ लगी। मिट्टी का टुकड़ा निकलकर गिरा। ऐसा ही सोने वाले कमरे में भी हुआ।
''आप नौकर को बुलाया डांटने लगे। तभी नौकर की नजर कुर्सी पर पड़ी किसी चीज पर पड़ी।''
''मेरे दस्ताने कुर्सी पर छूट गए थे।'' गिलकिस्ट ने आगे बताया—''बैनिस्टर ने तुरंत दस्तानों को पहचान लिया। वह जानता था कि उस पर परोफेसर की नजर पड़ते ही मैं पकड़ा जाऊंगा। अत: वह तबीयत खराब होने का बहाना कर दस्तानों पर ही बैठ गया। जब प्रोफेसर साहब आपको बुलाने गए तब इन्होंने मुझे बाहर जाने दिया।
''मुझे लगा कि मैंने गलत काम किया था। बैनिस्टर ने मुझे पिता की तरह समझाया। तब मैंने निश्चय कर लिया कि मैं परीक्षा में नहीं बैठूंगा। यह देखिए, इस सूचना को आप तक पहुंचाने के लिए पत्र लिख चुका था।'' कहते हुए गिलक्रिस्ट ने पत्र प्रोफेसर को दे दिया।
बैनिस्टर, तुमने इसका साथ क्यों दिया? प्रोफेसर ने आश्चर्य से पूछा।
बैनिस्टर ने धीरे से जवाब दिया—''आपके पास काम करने से पहले मैं गिलक्रिस्ट के घर काम करता था। इसके पिता मेरी बहुत ख्याल रखते थे। पर दुर्भाग्य से उनकी मृत्यु हो गई। मैं आपके पास चला आया। कल जब मैंने दस्ताने देखे तो मैं समझ गया था कि कमरे में कौन आया था। मैं इस बच्चे का भविष्य बर्बाद नहीं करना चाहता था। इसीलिए मैं इसे बचकर जाने दिया। मेरे मन में और कोई बात नहीं थी।''
''क्यों प्रोफेसर आपकी मुश्किल तो हल हो गई। कालेज का नाम भी बदनाम नहीं हुआ। इस बच्चे को माफ कर दें। इसने प्रश्नपत्र देखा है, पर यह परीक्षा में नहीं बैठ रहा है। अत: आज परीक्षा हो सकती है। हां, आप जरूर बदनाम होने वाले हैं क्योंकि आपने अब तक हमें नास्ता भी नहीं करवाया है।''—हंसते हुए शर्लाक होम्स ने कहा।
''मैं अभी आप सबके लिए नाश्ता लाता हूं।''—कहते हुए बैनिस्टर बाहर भागा। यह देखकर सभी हंस पड़े।
(प्रस्तुत : अनिल जायसवाल)
द एडवेंचर ऑफ़ थ्री स्टुडेंट्स (THE ADVENTURE OF THE THREE STUDENTS)
द एडवेंचर ऑफ़ थ्री स्टुडेंट्स
—सर आर्थर कानन डायल
एक बार शर्लाक होम्स और डा. वाटसन से मिलने डा. हिल्टन सोएमस आए। वह सेंट ल्यूक्स कालेज में प्रोफेसर थे। डा. सोएमस लंबे-दुबले और भावुक किस्म के आदमी थे। वह आमतौर पर बहुत शांत रहते थे, पर उस दिन उनकी बेचैनी को कोई भी महसूस कर सकता था।
डा. सोएमस बेचनी से पहलू बदलते हुए बोले—''मेरे साथ एक बहुत ही अजीब घटना मेरे विश्वविद्यालय परिसर के घर में घटी है। यह मेरा भाग्य है कि आप इन दिनो यहीं ठहरे हुए हैं।''
''माफ कीजिए।'' शर्लाक होम्स बोले—''मैं इन दिनों बहुत व्यस्त हूं। अच्छा होगा यदि आप पुलिस से संपर्क करें।''
''मैं ऐसा ही करता पर ऐसा करने पर कालेज की इज्जत पर आंच आएगी। और किसी दूसरे की गलती सजा निर्दोष छात्रों क्यों मिले।
अब तक शर्लाक होम्स उखड़े हुए थे। परंतु छात्रों केविषय में जानकर वह थोड़े सहज हुए। वह प्रोफेसर के पास पड़ी कुर्सी पर बैठ गए। उनका संकेत पाकर प्रोफेसर ने आगे कहना शुरू किया—''कल हमारे कालेज में छात्रवृत्ति की परीक्षा होने वाली है। उसका प्रश्नपत्र मैंने ही बनाया है। आज करीब तीन बजे छपार्इ वाला प्रश्नपत्र का नमूना मुझे देखने के लिए दे गया। प्रश्नपत्र तीन पन्नों में था। मैं उन्हें पढऩे लगा। इस बीच चाय का समय हुआ तो मैंने प्रश्न पत्र टेबल पर रख दिया। दरवाजे पर ताला लगाकर मैं मित्र के पास चाय पीने चला गया।
''जब मैं लौटा तो यह देखकर सन्न रह गया कि दरवाजे पर चाबी लगी हुई थी। दरवाजे की एक चाबी मेरे विश्वस्त नौकर बैनिस्टर के पास रहती थी। इसका मतलब था कि मेरे न रहने पर वह मेरे कमरे में गया था। यह उसकी लापरवाही थी कि उसने चाबी दरवाजे पर लगी छोड़ दी थी।
''मैं जल्दी से अंदर गया। मैं यह देखकर हैरान रह गया कि प्रश्न पत्रों को किसी ने छेड़ा था। एक पन्ना पर्श पर गिरा था। दूसरा खिड़की पाल वाली शीशे की मेज पर था और तीसरा वहीं पर था जहां मैंने उन्हें छोड़ा था।''
''पहले मुझे लगा यह मेरे नौकर का काम है। मैंने उससे बात की। वह तो मेरी डांट से ऐसा पस्त हुआ कि खिड़की के पास वाली कुर्सी पर ही बैठ गया। मेरे घर के पास ही तीन विद्यार्थी रहते हैं। उनमें से एक दौलत रास मेरे पास आया था, पर चूकि प्रश्न पत्र गोलाई में बंधे हुए थे, अत: वह जान ही नहीं सकता था। इसके अलावा कोई मेरे पास नहीं आया था। मैंने कमरे की जांच की। कमरे में घुसने वाले ने कुछ निशान छोड़े थे—जैसे पैंसिल की छीलन। मैं चाहता तो पुलिस बुला सकता था। पर इससे परीक्षा स्थगित हो जाती। कितने ही बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो जाता। अगर आप कल की परीक्षा से पहले उस बदमाश को पकड़ लें तो बड़ी मेहरबानी होगा। अन्यथा मुझे परीक्षा स्थगित करवानी पड़ेगी।''
''मुझे जांचकर खुशी होगी। चलिए आपके घर चलते हैं।''—कहते हुए शर्लाक होम्स खड़े हो गए।
सभी प्रोफेसर के घर पहुंचे। कालेज परिसर में ही घर बने थे। साथ ही छात्रावास भी था। शर्लाक ने बाहर से खिड़की द्वारा घर में झांकने की कोशिश की। शर्लाक की लंबाई अच्छी थी, पर उन्हें भी झांकने के लिए काफी उचकना पड़ा।
सभी घर के अंदर पहुंचे। घर पुराने ढंग का बना हुआ था। दरवाजे के अलावा घर में घुसने का कोई रास्ता नहीं था। शर्लाक बैठक के बनी खिड़की के पास पहुंचे। वहीं शीशे वाली टेबल रखी थी। पास ही कुर्सी भी पड़ी हुई थी। शर्लाक ने सब कुछ ध्यान से देखा। फिर प्रोफेसर से पूछ बैठे—''आपका नौकर किस कुर्सी पर बैठा था?''
'इसी मेज के पास वाली कुर्सी पर।''
''चलिए, पहले मेज को देखते हैं। शर्लाक ने मेज को ध्यान से देखा। मेज पर खरोंच के निशान थे। वहां कुछ काली मिट्टी पड़ी हुई थी। साथ ही जमी हुई मिट्टी का एक तिकोना टुकड़ा भी था। उस मिट्टी में बुरादा मिला था। कुछ सोचकर शर्लाक ने कहा—''जो हुआ, साफ दिखाई दे रहा है। अजनबी को पता चल गया कि कमरे में प्रश्न पत्र है। उसे दरवाजे पर चाबी भी लगी मिली। वह अंदर आया। टेबल से एक-एक कर प्रश्न पत्र उठाकर वह नकल करने लगा। इसी बीच उसकी पेंसिल की नोंक टूटी। उसने फिर नोंक बनाई, इसीलिए पेंसिल की छीलन मेज के पास पड़ी है। वह खिड़की के पास शीशे वाली टेबल पर इसलिए काम कर रहा था कि वह बाहर आप पर नजर रख सके कि कहीं आप लौट तो नहीं रहे। उसका दुर्भाग्य कि आप दूसरे रास्ते से आ गए। फिर...।'' कहते हुए शर्लाक रुक गए। फिर बोले—''बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं है। इसका मतलब जब आप अंदर आए तो वह यहां था। पर था कहां?''
कहते हुए शर्लाक की नजर पूरे बैठक में घूमी। उन्हें एक और दरवाजा नजर आया। उन्होंने प्रोफेसर की ओर देखा तो वह बोले—''यह मेरे सोने के कमरे का दरवाजा है।''
''चलिए देखते हैं।''—कहते हुए शर्लाक सोने के कमरे में गया। वहां दरवाजे के स्थान को ध्यान से देखा। वहां पर भी उसे मिट्टी का तिकोना टुकड़ा मिला। शर्लाक ने उसे भी संभालकर रख लिया। अब उसके पास वैसे दो टुकड़े थे। फिर वह बोले—''इससे सिद्ध होता है कि वह अजनबी इस कमरे में भी आया था। आपका नौकर उस अजनबी अथवा चोर जो भी है, उसे जानता है। आप जरा उसे बुलवाइए।''
बैनिस्टर आया। वह पचास साल का बूढ़ा था। वह अब भी घबराया हुआ था। शर्लाक ने उसके आते ही पूछा—''एक बात मेरी समझ में नहीं आई। जब प्रोफेसर ने आप से पूछताछ की तो पस्त होकर आप कमरे में और किसी कुर्सी पर क्यों नहीं बैठे। उसी कुर्सी पर क्यों बैठे जो इस खिड़की के नजदीक और दरवाजे से इतनी दूर इस शीशे वाली टेबल के पास है?''
''मुझे नहीं पता, मैं तो बिना सोच-समझे उस कुर्सी पर बैठ गया था।''—नौकर ने जवाब दिया।
आप जानते हैं, पर हमें बता नहीं रहे। पर कोई बात नहीं। चलिए प्रोफेसर साहब, अब आपके पड़ोसी, तीनों विद्यार्थियों से मिल लें। शायद कुछ पता चले।
सबसे पहले वे गिलक्रिस्ट नामक विद्यार्थी से मिले। वह ताड़ की तरह लंबा और लापरवाह युवक था। पढ़ाई से ज्यादा उसकी खेल में रुचि थी। लंबी कूद में वह कालेज का चैंपियन था।
दूसरा लड़का था दौलत रास। वह पढऩे में तेज था। वह सबसे बड़ी गर्मजोशी से मिला। उसकी लंबाई ज्यादा नहीं थी। फिर वह तीसरे विद्यार्थी के पास पहुंचे। वह भी सामान्य कद का विद्यार्थी था। आवाज देने पर भी उसने सबसे मिलने से इनकार कर दिया। सबको बहुत बुरा लगा। साथ ही यह सुनकर और भी उसपर सबका संदेह गहराया कि आज दोपहर के बाद से वह किसी से मिला तक नहीं था।
''अच्छा प्रोफेसर साहब, अब हम चलते हैं। कल सुबह परीक्षा आरंभ होने से पहसे अपराधी आपके पास खड़ा होगा।''—कहते हुए शर्लाक होम्स और डा. वाटसन प्रोफेसर को परेशानी की हालत में छोड़कर ही लौट गए।
अगले दिन सुबह डा. वाटसन ने शर्लाक होम्स से कहा—'' प्रोफेसर के पास जाकर उसे कहेंगे क्या? कौन है अपराधी?''
मैं उसे पहचान चुका हूं। यह देखो। कहते हुए शर्लाक ने अपनी हथेली आगे की। उस पर वैसा ही तिकोना टुकड़ा था जैसे दो टुकड़े शर्लाक ने प्रोफेसर के घर पर बरामद किए थे।
यह कहां से मिला?—डा. वाटसन ने पूछा।
''मैं आज सुबह से इस काम में लगा हूं। चलो, बाकी बातें प्रोफेसर के यहां बताऊंगा।''
दोनों तैयार होकर प्रोफेसर के पास पहुंचे। वह परेशान होकर टहल रहे थे। उन्हें दिलासा देकर शर्लाक ने पहले बैनिस्टर को बुलाया। उसके आते ही कहा—''मैं जानता हूं, जो भी अपराधी है। उसे तुम जानते हो। पर मैं इसे सिद्ध नहीं कर सकता। ऐसा करो कि जाकर गिल्क्रिस्ट को बुला लाओ।''
बैनिस्टर गया और जब वह लौटा तो उसके साथ गिलक्रिस्ट था। ''यहां हम पांच लोग हैं। यहां जो बातें होगी, हमारे अलावा कोई नहीं सुन सकेगा। तुम तो अच्छे लड़के हो, पर तुमने ऐसा गलत काम क्यों किया?'' —कहते हुए शर्लाक ने उस पर नजर गड़ा दी।
गिलक्रिस्ट ने घबराकर बैनिस्टर की तरफ देखा। बैनिस्टर मिमियाया—''नहीं, मैंने उन्हें कुछ नहीं बताया।''
''गिलक्रिस्ट, तुमने ऐसा क्यों किया?''—प्रोफेसर की हैरानी की कोई सीमा नहीं थी।
''इसने कुछ सोचकर ऐसा नहीं किया था। मौका हाथ लगा तो यह अपराध कर बैठा। मैं सारी कहानी सुनाता हूं। जहां मैं कुछ छोड़ू, तुम बता देना। ''—शर्लाक ने कहा।
फिर उन्होंने केस पर बोलना शुरू किया—''घर में प्रश्न पत्र आए हैं, यह प्रोफेसर के अलावा छपाई वाले को पता था। पर वह इसलिए अपराधी नहीं हो सकता ता कि वह तो नकल का काम अपने घर में भी कर सकता था। बैनिस्टर को भी पता नहीं था, अत: वह ऐसा कर नहीं सकता था। ले देकर इतनी जल्दी इसके विषय में पास में ही रहने वाले तीनों विद्यार्थी ही जान सकते थे। दौलत रास घर पर आया था पर बंडल देखकर उसे भला कुछ क्या पता चलता। अत: मैंने सुबूतों पर ध्यान दिया। कोई बाहर से झांककर अंदर देख सकता था। पर इसके लिए लंबा होना जरूरी था। तीनों विद्यार्थियों में सबसे लंबा गिलकिस्ट ही है। घर में मिट्टी के जो टुकड़े मिले, वह खेल वाले जूतों में लगीं कीलों से ही निकल सकती थी। यहां उपस्थित लोगों में गिलक्रिस्ट ही खिलाड़ी है। बाहर खिड़की के पास, घर के अंदर शीशे वाली टेबल के पास ,उसके पास की कुर्सी पर तथा सोने वाले कमरे में काली मिट्टी और लकड़ी के बुरादे मिले थे। मैं आज सुबह कालेज के खेल के मैदान में गया था। वहां की मिट्टी काली है। वहां पर लकड़ी के बुरादे भी मिले जिसे खिलाड़ी फिसलने से बचने के लिए मिट्टी पर डालते हैं।
फिर मैं कालेज के पास वाली कापी-किताब बेचने वाली दुकान पर गया। वहां पता चला कि कल रात एक लंबा लड़का पेंसिल खरीदकर ले गया था।
''हुआ यह था कि गिलक्रिस्ट ने खेल के मैदान से लौटते समय खिड़की से प्रश्नपत्र देख लिए. वह दरवाजे पर आया तो उसके भाग्य से दरवाजे पर बैनिस्टर की चाबी लटक रही थी। वह कमरे में आया। जूते शीशे वाली मेज पर रखकर एक-एक कर प्रश्नपत्रों की नकल उतारने लगा। वह खिड़की के पास यह देखने के लिए खड़ा था कि कहीं आप लौट तो नहीं रहे। पर आप दूसरे रास्ते से लौट आए। बचने के लिए वह आपके सोने वाले कमरे में छिप गया। जूते को खींचने से मेज पर रगड़ लगी। मिट्टी का टुकड़ा निकलकर गिरा। ऐसा ही सोने वाले कमरे में भी हुआ।
''आप नौकर को बुलाया डांटने लगे। तभी नौकर की नजर कुर्सी पर पड़ी किसी चीज पर पड़ी।''
''मेरे दस्ताने कुर्सी पर छूट गए थे।'' गिलकिस्ट ने आगे बताया—''बैनिस्टर ने तुरंत दस्तानों को पहचान लिया। वह जानता था कि उस पर परोफेसर की नजर पड़ते ही मैं पकड़ा जाऊंगा। अत: वह तबीयत खराब होने का बहाना कर दस्तानों पर ही बैठ गया। जब प्रोफेसर साहब आपको बुलाने गए तब इन्होंने मुझे बाहर जाने दिया।
''मुझे लगा कि मैंने गलत काम किया था। बैनिस्टर ने मुझे पिता की तरह समझाया। तब मैंने निश्चय कर लिया कि मैं परीक्षा में नहीं बैठूंगा। यह देखिए, इस सूचना को आप तक पहुंचाने के लिए पत्र लिख चुका था।'' कहते हुए गिलक्रिस्ट ने पत्र प्रोफेसर को दे दिया।
बैनिस्टर, तुमने इसका साथ क्यों दिया? प्रोफेसर ने आश्चर्य से पूछा।
बैनिस्टर ने धीरे से जवाब दिया—''आपके पास काम करने से पहले मैं गिलक्रिस्ट के घर काम करता था। इसके पिता मेरी बहुत ख्याल रखते थे। पर दुर्भाग्य से उनकी मृत्यु हो गई। मैं आपके पास चला आया। कल जब मैंने दस्ताने देखे तो मैं समझ गया था कि कमरे में कौन आया था। मैं इस बच्चे का भविष्य बर्बाद नहीं करना चाहता था। इसीलिए मैं इसे बचकर जाने दिया। मेरे मन में और कोई बात नहीं थी।''
''क्यों प्रोफेसर आपकी मुश्किल तो हल हो गई। कालेज का नाम भी बदनाम नहीं हुआ। इस बच्चे को माफ कर दें। इसने प्रश्नपत्र देखा है, पर यह परीक्षा में नहीं बैठ रहा है। अत: आज परीक्षा हो सकती है। हां, आप जरूर बदनाम होने वाले हैं क्योंकि आपने अब तक हमें नास्ता भी नहीं करवाया है।''—हंसते हुए शर्लाक होम्स ने कहा।
''मैं अभी आप सबके लिए नाश्ता लाता हूं।''—कहते हुए बैनिस्टर बाहर भागा। यह देखकर सभी हंस पड़े।
(प्रस्तुत : अनिल जायसवाल)